वक्त से पूछकर बताना जरा,जख्म क्या वाकई भर जाते है ?
शायद खुशी का दौर भी आ जाए एक दिन,
ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर

Create a poster for this message
Visits: 195
Download Our Android App