आज की बात फिर नहीं होगी , ये मुलाक़ात फिर नहीं होगी , ऐसे बादल तो फिर भी आएंगे , ऐसी बरसात फिर नहीं होगी , रात उनको भी ये हुआ महसूस , जैसे ये रात फिर नहीं होगी , एक नज़र मुड़ के देखने वाले , क्या ये ख़ैरात फिर नहीं होगी शबे ग़म की सहर नहीं होगी, होगी भी तो मेरे घर नहीं होगी ज़िंदगी तो ही मुख़तसर हो जा , शबे ग़म मुख़तसर नहीं होगी |

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