खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं, हमें क्या रोकेंगे ये ज़माने वाले, हम परों से नहीं, हौसलों से उड़ा करते हैं।

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