नेक लोगों की संगत से हमेशा भलाई ही मिलती है,
क्योंकि...
हवा जब फूलों से गुज़रती है
तो वो भी खुशबूदार हो जाती है .
बस एक बात सीखी है जिंदगी से
"अगर अपनों के करीब रहना है तो मौन रहो
और अपनों को करीब रखना है तो बात दिल पर मत लो" !!!
कौन क्या कर रहा है,
कैसे कर रहा है
क्यों कर रहा है
इन सब से आप जितना दूर रहेंगे
उतना ही खुश रहेंगे !!
ज्ञान धन से उत्तम है
क्योंकि
धन की तुमको रक्षा करनी पड़ती है
और...
ज्ञान तुम्हारी रक्षा करता है....
सुख दुख़ निभाना तो कोई फूलों से सीखे,
बारात हो या जनाज़ा साथ ज़रूर देते हैं ।
*जिंदगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ,* *मगर किसी के भरोसे का फ़ायदा नहीं !*
*ज़िन्दगी समझ नहीं आई तो मेले में अकेला* और *समझ आ गई तो अकेले में मेला*..!!
💞कब्रिस्तान में एक तख्ती पर क्या खूब लिखा था
*पढ़ ले दुआ किसी के लिए
कल तू भी तरसेगा इसी के लिए💞
इंसान तो हर घर में पैदा होता है,
पर इंसानियत कहीं-कहीं ही जनम लेती है ।
🌹रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो🌹
🌹उन्हे तोङना मत क्योंकि🌹
🌹पानी चाहे कितना भी गंदा हो🌹
🌹अगर प्यास नही बुझा सकता🌹
🌹वो आग तो बुझा सकता है।🌹
🌹लगातार हो रही🌹
🌹असफलताओ से निराश🌹
🌹नही होना चाहिए क्योक़ि🌹
🌹कभी-कभी गुच्छे की आखिरी🌹
🌹चाबी भी ताला खोल देती है।🌹
🌹बुरे दिनो का एक🌹 🌹अच्छा फायदा🌹 🌹अच्छे-अच्छे दोस्त🌹 🌹परखे जाते है🌹
मुस्करा कर देखो तो सारा जहाॅ रंगीन है,
वर्ना भीगी पलको से तो आईना भी धुधंला नजर आता है ।
🌹 टूट जाता है गरीबी मे🌹 🌹वो रिश्ता जो खास होता है,🌹 🌹हजारो यार बनते है🌹 🌹जब पैसा पास होता है।🌹
🌹जल्द मिलने वाली चीजे🌹 🌹ज्यादा दिन तक नही चलती,🌹 🌹और जो चीजे ज्यादा🌹 🌹दिन तक चलती है🌹 🌹वो जल्दी नही मिलती।🌹
ज़रूरी नहीं कि सारे सबक़ किताबों से ही सीखें....
कुछ सबक़ ज़िंदगी और रिश्ते सिखा देते है ....
भीड़ में खड़ा रहना तो एक आसान बात है,
लेकिन अकेले खड़े रहने के लिए साहस चाहिए |
लड़कियाँ गलत लड़कों के चक्कर में इसलिए भी पड़ जाती हैं क्यों कि- सही लड़के वक्त पर दिल की बात कहने की हिम्मत नही जुटा पाते |
अगर सच में किसी का साथ ज़िन्दगी भर चाहते हो,
तो उसे कभी मत बताओ की उस से कितना प्यार करते हो ।
अपनापन तो हर कोई दिखाता है,
पर अपना कौन है,
ये तो वक्त बताता है ।
अगर जिंदगी इतनी ही आसान होती तो,
इस दुनिया में कोई भी रोते हुए ना आता ।
वहीँ लोग रहते है,
खामोश अक्सर जमाने में,
जिनके हुनर बोलते है ।
कदर 🤝 करनी है तो जीते जी करो जनाजा उठाते वक़्त 🕑 तो नफ़रत करने वाले भी रो 😭 पड़ते हैं !!
वो समझता हैं की हर शख्स बदल जाता हैं उसे लगता हैं की ज़माना उस के जैसा हैं !!
गरीबों 🏕 से करीब का रिश्ता भी छुपाते 👤 👤 हैं लोग और अमीरों 🏡 से दूर का रिश्ता भी बड़ा चढ़ा 🗣 कर बताते हैं !!
*वक़्त चलता रहा, जिंदगी सिमटती गई....* *दोस्त बढ़ते गए, दोस्ती घटती गई....!!!!*
कभी बातों से बात बिगड़ भी जाती है,
तभी खामोशी रिश्ता संभाल लेती है ।
जब जरुरत बदलती है तो, लोगों का बात करने का तरीका बदल जाता है !!
इतना मत सोचो ☝ ए बन्दो 👫 ज़िंदगी 🌍 के बारे में, 😌 जिसने 👤 ये ज़िंदगी दी 🌍 है उसने भी तो कुछ सोचा 😇 ही होगा आपके बारे 👫 मे.
अच्छे विचारों का असर आज कल इसलिए नहीं होता
क्योंकि लिखने वाले और पढ़ने वाले दोनों ये समझते हैं कि ये दूसरों के लिए है
चादर से पैर तभी बाहर आते हैं,
जब उसूलों से बड़े ख्वाब हो जाते हैं ।
ज़िन्दगी की राहों में ऐसा अक्सर होता है,
फैसला जो "मुश्किल" हो वो ही "बेहतर" होता है ।
" जिंदगी में ऐ देखना जरूरी नहीं कि,, "कोन हमारे आगे है और कोन हमारे पिछे .... मगर ऐ देखना जरूरी है ? हम किसके साथ है हमारे साथ कोन है !! 🖊🎯🖊🎯🖊🎯🖊🎯🖊
इतनी जल्दी दुनिया की कोई चीज नहीं बदलती,
जितनी जल्दी इंसान की नियत और नजरें बदल जाती है ।
*उठो तो ऐसे उठो, फक्र हो बुलंदी को...* *झुको तो ऐसे झुको, बंदगी भी नाज़ करे...*
*"पूरे समुंद्र का पानी भी एक जहाज को नहीं डुबा सकता,जब तक पानी को जहाज अन्दर न आने दे।* *इसी तरह दुनिया का कोई भी नकारात्मक विचार आपको नीचे नहीं गिरा सकता,जब तक आप उसे अपने अंदर आने की अनुमति न दें।"*
"खुश" रहने का सुन्दर उपाय,
उम्मीद "रब" से रखो,
"सब" से नहीं ।
*शमशान की राख देख मन में एक ख्याल आया,* *कि*, *सिर्फ राख होने के लिए हर इंसान ज़िन्दगी में दूसरे से कितनी बार जलता है?*
लोग क्या सोचेंगे !!! वो भी हम सोचेंगे तो लोग क्या सोचेंगे???😐
सहम सी गयी हैं ख्वाहिशें... शायद ज़रूरतों ने ऊँची आवाज़ में बात की होगी !!!
कुछ नाकामयाब रिश्तों में पैसे 💰 💰 नहीं !! बहुत सारी ‘उम्मीदें और वक्त’ खर्च हो जाते हैं !!
शब्द का वजन तो 🗣 बोलने के भाव से पता चलता है, बाकी Welcome तो पायदान पर भी लिखा होता हैं....!
दुनिया गयी तेल लेने,
सब मोह माया हैं भाई !
सूखे होंटों पे ही होती हैं मीठी बातें,
प्यास जब बुझ जाये तो लहजे बदल जाते हैं!
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी,
फिर क्यों ?
उसे "चाँद" और मुझे "आवारा" कहते है लोग ।
कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा बूढा भिखारी,
जो बस एक रुपये के बदले सिग्नल पे खड़ा बेशकीमती दुआए दे देता है।
दुकानें उसकी भी लुट जाती है,
अक्सर हमने देखा है,
जो दिन भर में न जाने कितने ताले बेच देता है ।
घर के अंदर भले जी भर के रो लो,
पर दरवाज़ा हँस कर ही खोलो।
जुबानी इबादत ही काफी नहीं ,
”खुदा” सुन रहा है खयालात भी..🌹🙏
कोशिश आखिरी सांस तक करनी चाहिए,
“मंजिल” मिले या “तजुर्बा” चीजें दोनो ही बहुत नायाब है ।