प्रशंसा चाहे कितनी भी करो, किन्तु "अपमान" बहुत ही सोच समझकर करना चाहिये क्यों कि
अपमान वो ऋण है, जो हर कोई अवसर मिलने पर "ब्याज" सहित चुकाता अवश्य है।
🙏शुभप्रभात🙏

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