आँखे नम है मेरी और जिगर जलता है
क्या क़यामत है कि बरसात में घर जलता है
भीगते हैं जिस तरह से तेरी यादों में डूब कर,
इस बारिश में कहाँ वो कशिश तेरे खयालों जैसी।
उन दो पलों में ही मैंने अपनी ज़िंदगी जी ली थी. जिन दो पलों में तूने मुझे बारिश में ज़ोर से अपने गले लगाया था.
मौसम में अजब सी मस्त खुमारी छा रही है
लगता है मेरी वाली मिलने को आ रही है....