रिमझिम तो है मगर सावन गायब है,
बच्चे तो हैं मगर बचपन गायब है.
क्या हो गयी है तासीर ज़माने की यारों
अपने तो हैं मगर अपनापन गायब है.
शुभरात्रि

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