दिल की खिड़की से बाहर देखो ना कभी
बारिश की बूँदों सा है एहसास मेरा
घनी जुल्फों की गिरह खोलो ना कभी
बहती हवाओं सा है एहसास  मेरा
छूकर देखो कभी तो मालूम होगा तुम्हें
सर्दियों की धूप सा है एहसास मेरा

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