एक महात्मा से मुलाक़ात हुई, तो मैंने गुज़ारिश की.. .... जिंदगी की कोई नसीहत दीजिये मुझे...
उन्होंने सवाल किया, कभी बर्तन धोये हैं ?**मैने हैरान होकर कहा, ....... जी धोये हैं।
पुछा,....क्या सीखा ?* *मैंने कोई जवाब नही दिया...**वो मुस्कुराये और कहा.........*
बर्तन को बाहर से कम और* *अंदर से ज्यादा धोना पड़ता है.......**बस यही जिंदगी है।
* *🌹✍️🌹🌹🌹🌹* 🌹🌹🌹 *Good Morning** *🌹✍️🌹🌹🌹🌹* 🌹🌹🌹

Create a poster for this message
Visits: 453
Download Our Android App