लम्हों की खुली किताब हैं ज़िन्दगी, ख्यालों और सांसों का हिसाब हैं ज़िन्दगी, कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी, इन्ही सवालों के जवाब हैं ज़िन्दगी।

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