प्यास वो दिल की बुझाने कभी आया ही नहीं , कैसा बादल  है  जिसका  कोई साया भी नहीं बेरुखी  इससे बड़ी  और  भला क्या होगी एक  मुद्दत से  हमें उसने  सताया  भी  नहीं!

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