कोई मिले इस तरह कि फिर जुदा न हो,समझे मेरा मिजाज और कभी नाराज़ न हो,अपने एहसास से बाँट ले सारी तन्हाई मेरी,इतनी मोहाब्बत दे जो पहले किसी ने किसी की न हो।

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