कुछ रिश्तों को कभी भी… नाम ना देना तुम… इन्हें चलने दो ऐसे ही… इल्ज़ाम ना देना तुम ॥ ऐसे ही रहने दो तुम… तिश्नग़ी हर लफ़्ज़ में… के अल्फ़ाज़ों को मेरे… अंज़ाम ना देना तुम ॥

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