“रात के पहलु में तेरी याद क्यू है, तू नहीं तो तेरा एह्सास क्यू है,
मैने तो बस तेरी ख़ुशी चाही थी ऐ जान पर तू आज तक इतने ”दूर” क्यू हे ।

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